सिन्धु घाटी की
सभ्यता काल से
ही भारत में
सड़क निर्माण की
सुदीर्घ परम्परा रही है।
ईसा पूर्व तृतीय
शताब्दी में मौर्य
शासक चन्द्रगुप्त तथा
अशोक महान सड़क
निर्माता थे। देश
का आन्तरिक व्यापार
भी प्रगति पर
था। उस समय
देश के अन्दर
चार प्रमुख व्यापारकि
मार्ग थे। यथा
-
01. उत्तरापथ - यह मार्ग
ताम्रलिप्ति (पं. बंगाल)
बन्दरगाह से पश्चिमोत्तर
भारत में पुष्कलवती
तक जाता था।
इस मार्ग पर
चम्पा, पाटलिपुत्र, वैशाली, राजगृह,
गया, काशी प्रयाग,
कौशाम्बी, कान्य कुब्ज, हस्तिनापुर,
शाकल एवं तक्षशिला
जैसे प्रमुख नगर
स्थित थे।
02. दूसरा मार्ग - पश्चिम
में पाटल से
पूर्व में कौशाम्बी
के समीप उत्तरापथ
में मिलता था।
03. तीसरा मार्ग - दक्षिण
में प्रतिष्ठान से
उत्तर में श्रावस्ती
तक जाता था
जिस पर माहिष्मती,
उज्जैन, विदिशा, आदि नगर
स्थित थे।
04. चौथा प्रसिद्ध व्यापारकि मार्ग - मृगुकच्छ
से मथुरा तक
जाता था, जिसके
रास्ते में उज्जैन
पड़ता था।
इस प्रकार उत्तरापथ तथा
दक्षिणापथ के भू-भाग व्यापारिक
मार्गों द्वारा परस्पर संयुक्त
कर दिये गये
थे। इसके अलावा
एक और सुप्रसिद्ध
व्यापारकि मार्ग था - रेषम
मार्ग। यह मार्ग
चीन से भारत,
ईरान तथा पष्चिमी
एषिया तक जाता
था।
मध्य युग में
षेरषाहसूरी तथा मुगल
सम्राटों ने भी
सड़को के निर्माण
में गहरी रूचि
ली। आधुनिक युग
में ब्रिटिष षासकों
और विषेशकर लार्ड
डलहौजी द्वारा सड़को के
निर्माण एवं विकास
पर विषेश ध्याय
दिया गया।
स्वतंत्रोपरान्त
देष में सड़को
की कुल लम्बाई
4.0 लाख किमी. थी। वर्तमान
में हमारा देष
विष्व की दूसरी
सबसे बड़ी सड़क
प्रणाली वाला देष
है।
नवीनतम उपलब्ध आंकड़ो के
अनुसार, इस समय
देष की कुल
सड़को की लम्बाई
लगभग 42.34 लाख किमी.
है। सड़क नेटवर्क
के अन्तर्गत राश्ट्रीय
राजमार्ग, राज्यों के राजमार्ग,
जिल सड़के तथा
ग्रामीण सड़के षामिल
है। इनमें राश्ट्रीय
राजमार्ग 71772 किमी., 1.545 लाख किमी.
राज्य राजमार्ग, 34,17,000 किमी.
प्रमुख जिला सड़को
तथा 2659000 किमी. ग्रामीण सड़के
षामिल है।
01.
राश्ट्रीय राजमार्ग - राश्ट्रीय राजमार्गो के
निर्माण तथा रख-रखाव की
जिम्मेदारी भारत सरकार
की है। इसका
नियंत्रण केन्द्रीय लोक निर्माण
विभाग द्वारा किया
जाता है। देष
में कुल 207 राश्ट्रीय
राजमार्ग है। आर्थिक
समीक्षा 2011 के अनुसार,
राश्ट्रीय राजमार्गो की कुल
लम्बाई 70934 किमी. है। यह
सड़को की कुल
सड़के की कुल
लम्बाई का 2 प्रतिषत
है जबकि इनके
द्वारा देष के
कुल सड़क यातायात
का 40 प्रतिषत सम्पन्न
किया जाता होता
है। एन.एच.
की कुल लम्बाई
में से 32 प्रतिषत
एकल लेन 56 प्रतिषत
मध्यवर्ती लेन का
और षेश 12प्रतिषत
मानक 4 लेन अथवा
अधिक का है।
ध्यातव्य है कि
विष्व की सबसे
उॅची सड़क मनाली
लेह राजमार्ग है।
भारत के तीन
सर्वाधिक लम्बाई वाले एन.एच. मार्ग
एन. एच.
मार्ग कहॉ
से कहॉ तक
एन. एच.
- 7 (2369 किमी) वाराणसी-कन्याकुमारी
एन. एच.
- 6 (1949 किमी) कोलकाता-हजीरा
एन. एच.
- 5 (1533 किमी) चेन्नई-बहारागोडा
देष में राश्ट्रीय
राजमार्गों का राज्यवार
वितरण बहुत विशम
है। राश्ट्रीय राज्यमार्गो
की सर्वाधिक लम्बाई
वाले पांच अधोलिखित
है। यथा
राज्य राश्ट्रीय राजमार्गो की
लम्बाई (किमी) भारत का प्रतिषत
उत्तर प्रदेष 6788 9.45
राजस्थान 6373 8.87
मध्य प्रदेष 5027 7.0
तमिलनाडु 4832 6.73
आन्ध्रप्रदेष 4537 6.32
कुल एन.एच
मार्ग - 71772
02. राज्य राजमार्ग - राज्य
राजमार्गो के निर्माण
तथा रख-रखाव
का दायित्व राज्य
लोक निर्माण विभाग
का है। राज्य
मार्ग राज्य के
सभी जिला मुख्यालयों
को राजधानियों से
जोड़ती है। आर्थिक
समीक्षा - 2011-12 के अनुसार
राज्य राजमार्गो की
कुल लम्बाई 154.5 हजार
किमी. है। देष
के कुल राज्य
राजमार्गो में सर्वाधिक
मार्ग धारक पांच
राज्य अधोलिखित है।
यथा
राज्य राज्य राजमार्गो की
लम्बाई (किमी.) भारत का प्रतिषत
महाराश्ट्र 33223
24.08
गुजरात 19796 14.35
मध्य प्रदेष 11789 8.55
राजस्थान 10047 7.28
कर्नाटक 10021 7.26
03. जिला सड़के - जिला
सड़को के निर्माण
तथा रखरखाव का
दायित्व जिला परिशद्
तथा लोक निर्माण
विभाग पर है।
2010 के अनुसार देष में
प्रमुख जिला सड़को
की कुल लम्बाई
34,17,000 किमी. है।
04. ग्राम सड़कें - देष
में अन्य जिला
एवं ग्रामीण सड़को
की लम्बाई 2659000 किमी.
है। इनमें ग्रामीण
सड़को का निर्माण
तथा रखरखाव ग्राम
पंचायतों द्वारा किया जाता
है। जबकि अन्य
जिला सड़को के
रखरखाव का दायित्व
जिला परिशद तथा
लोक निर्माण विभाग
का होता है।
उल्लेखनीय है कि
वर्तमान में देष
में कुल यात्री
यातायात का 87.4 प्रतिषत व
माल यातायात का
60 प्रतिषत सड़क परिवहन
(राजमार्गो) के द्वारा
सम्पन्न होता है।
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