भक्ति युग - Bhakti Yug


  • रतनपुर के राजा वाहरेन्द्र के काल में 1536 ई. से मुस्लिमों के आक्रमण से माना जाता है।
  • भक्तियुग के मुख्यतः तीन धारा में विभक्त है -
  • गाथा परम्परा से विकसित गाथाओं की है।
  • धार्मिक एवं सामाजिक गीतो की है।
  • रचनाओं से जिसमें अनेकानेक भावनाएं व्यक्त किया।
  • कल्याण साय की प्रमुख गाथा - फुलकुंवर, देवीगाथा
  • गोपल्ला गति, रायसिंध के पवारा, ढोलामारू, और नगेसर कइना प्रमुख लघु गाथए है।
  • लोखिक चंदा, सरबन गीत, वोधरू गीत


गाथा युग - Gatha Yug


  • इतिहास की दृष्टि से छत्तीसगढ़ी का गाथा युग स्वर्ण युग कहा जाता है। 
  • रामायण, महाभारत में छत्तीसगढ़ का विषेष स्थान है।
  • बौद्ध दार्षनिक नागार्जुन ने आरम्भ सूत्र यही खोजे थे।
  • 875 ई. चेदिराज कोकल्ल के पुत्र कलिगंगराज ने षुरूआत किया
  • कलिंग राज के पुत्र रत्नेष ने ही रतनपुर की स्थापना किया।
  • 1000 ई. से 1500 ई. तक छत्तीसगढ़ के अनेकानेक गाथाओं की रचना हुई जिसने प्रेम और बीरता का अपूर्ण विन्यास हुआ।
  • गाथाओं पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से होता था।
  • गाथाओं का विवेचन प्रेम प्रधान, पौराणिक और धार्मिक रूप में किया जाता है।



देवी गीत

मां आदि शक्ति के नवरात पर्व के अवसर मा रमेशकुमार सिंह चौहान दुवारा रचित देवी गीत मन ला भाई प्रेम पटेल, बिलासपुर हा अपन स्वर मा ढाले हे, छत्तीसगढी के छंद के रचना ला शास्त्रीय गायन के प्रयास ला नेट मा परचारित करके सहयोग करहु




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हाना - 1_Hana _Hamar Angana

जर न ताप, कीचक मरै अपने आप।

याने दुस्ट, पापी, अतियाचारी मनखे ह ककरो मारे बगैर अपनेच-अपन मर
जथें। काबर के भगवान ह सजा देथे त वोकर लउठी म अवाज नइ होवय।