दुख के दधिजि _ Dukh ke Dadhiji


आजादी के दिन माने पदं्रह अगस्त। पंद्रह अगस्त के के तिहार ह घुटरू मंडल बर सबले बड़का तिहार होय। पंद्रह अगस्त के दिन वोकर मन के उत्छाह ह देखते बने। बड़े बिहनिया ले वोहा खादी के धोती-कुरता पहिर के तियार हो जाय अउ हाथ म तिरंगा झंड़ा धर के स्कूल पहुंच जाय। जब लइकामन परभात फेरी निकाले, तब उंकर आगू-आगू झंड़ा लेके चलय। वोइसने चलय जइसे सुतंत्रता संग्राम के सेनानी मन के मुखिया बन के अजादी के लड़ई के समे चलय। जब ले वोकर जांगर ह थके लागिस तब ले वोहा स्कूल नइ जाके अपन चांवरा म बइठ के लइकामन ल टुकुर-टुकुर देखत भर राहय। लकामन के चेहरा म खुसी के भाव ल देख के वोला अपन बचपना के दिन ल सुरता करके भीतरे-भीतर वो खुसी ल महसूस करय। वोहा मने-मन लइकामन के भाग ल ये पाय के सहराय कि ये मन सतंन्त्र देस म जनम धरे हे।
सुतंत्रता ह कोन ल पियारा नइ होय। मनखे का, चराचर के सबो जीव-जंतु, पसु-पक्छी मन घलो सुतंत्रता चाहथे। परबस जीना कोन ल बने लागही। परतंत्रता म जीना तो नरक बरोबर होथे।इही भाव म तो घुटरू मंडल ह अपन जिनगी ल होम दिस।
घुटरू मंडल ह आज हमर बीच म नइ रही गे हे। रहिगे हे त सिरिफ वोकर सुरता। जियत म कोनो काकरों सुरता नइ करय। मर जाय के बाद वोहा सबसे के सुरता म बस जाथे। इही ह संसार के नियम होगे हे। मनखे मन जियत म बाप ल पसिया बर नइ पूछे अउ मरे के बाद दूसर ल पितर भात खवाथे अउ वोला पानी देथे।
हप्ता भर पहिल ले गांव म मुनादी होगे हे, येसो के पंद्रह अगस्त के दिन घुटरू मंडल ल गजब सुरता करे जाही। सरकार डहर ले फरमान आय हे, इहां के हाईस्कूल के नांव ह अब घुटरू मंडल माने ‘पोसन साव’ के नांव म करे जाही। अब येहा सरकारीहाईस्कूल नइ कहा के -सुवरगी पोसन साव’ हाई स्कूल कहाही अउ गौरव पाही। काबर कि पोसन साव ह ये गांव के गौरव रहिस। सुतंत्रता संग्राम के सेनानी रहिस। इही पाय के ये अतराब के बिधायक ह सरकार के प्रतिनिधि बन के गांव म आही अउ घुटरू मंडल के मुरति के इस्थापना करही। वोकर सुरता म गजब अकन घोसना तको करही, येमा गांव के इस्कूल के नामकरन तको हे।
सुरता! टाज ले साल भर पहिली के बात आय। पंद्रह अगस्त के दिन झमाझम पानी बरसत रहिस। घुटरू मंडल अपन चांवरा म ढेरा आंटत बइठे राहय। जइसे-जइसे वोकर ढेरा घुमे, वोइसने-वोइसने वोकर अंतस म बिचार ह घलो घुमे। जब वोहा बिचार म जादा गहरी म चल दे, तब वोकर आंखी ले टप-टप आंसू टपकय। वोहा अपन आंखी म आय आंसू ल धोती के कोर म पोंछ लेवे अउ फेर ढेरा ल घुमाये। पर बस मनखे ह आंसू बोहाय ले जादा अउ का कर सकथे।
गांव के सियान मन कहिथे, घुटरू मंडल ह आजादी के लड़ई लड़े हे। अजादी के लड़ई म वोहा अपन सरबस लगा दिस। एक जमाना म घुटरू मंडल ह गांव के संबो ले बड़हर किसान रहिस। वोकर तीर बीस-पचीस एकड़ धनहा अउ पचास ठन गाया-गरूवा के एक पाहट रहिस। वोहा अपने सबो संपति ल देस के अजादी खातिर उरका डारिस। आज उही घुटरू मंडल ह पर-भरासी होगे ये कहे जाय, वोहा अब बिन पूछन्ता के होगे हे। दूसर तो दूसर अपनो मन बर अनपूछन्ता होगे हे। वोहा अपन लइकामन बर तो बैरी बरोबर होगे हे। कहे गे हे, अपन बैरी, पुर हित। ये बात ह घुटरू मंडल के जिनगी म चरितार्थ दिखथे।
आज के लइकामन बर घुटरू मंडल के जिनगी ह कहिनी बरोबर लागथे। वोकर जीवन चरित ल सुन के अइसे लागथे, का ये दुनिया म अइसनो परमारथी मनखे होथे जउन परहित बर अपन सरबस लुटा देथे? मन म अइसने अउ गजब अकन सुवाल उपजथे, त कभु मन म एक पीरा, संवेदना अउ खुसी के भाग घलो बनथे।
संसार म कई किसम के मनखे हाथे। कोनो अपन बर जिथे, तब कोनो परमारथ बर। अपन बर तो सबसे जिथे फरे परमारथ बर जियइया मनखे तो लाखों म एक होथे। घुटरू मंडल परमारथ बर जियइया मनखे रहिस। वोहा अपन जिनगी म पर पीरा ल अपन पीरा के रूप् म जानिस दूसर के दुख में दुखी होना अउ दुसर के सुख में सुखी होना वोकर जीवन के ध्येय हो गे रहिस।
गांव के जुन्ना सियान मन जब घुटरू मंडल के बारे म बताथें, तब आंखी ले आंसू निथर जाथे। वोहा सही अरथ म ये जुग के दधिचि आय, जउन अपन रीड़ के हाड़ा ल दान कर दिस। सियान मन कहिथे, जब देस हर सुतंत्र होइस, तब छोटे-बड़े गजब अकर मनखे मन पदवी पाय बर भागा-दउड़ा करिन। अपन आप ल नेता कहाये बर चुनाव लड़ीन। सुतंत्रता संग्राम सेनानी कहाये बर अपन नाम लिखाइन, कागद-पत्तर सकेलिन, फेर घुटरू मंडल ह ये उदीम ले अपन ल अगल राखिस। वोकर कहना राहय, हम देस के सेवा बर जउन करने वोकर का हम मेहनताना लेबोन? एक जनम का दस जनम लेबोन, तभो ले माटी के करजा ल नइ उतार सकन। अपन सुअभिमान के खातिर बर वोहा सुतंत्रता संग्राम सेनानी मन ल मिलइया पेंसन ल घलो ठोकर मार दिस अउ अपन आखिर समे तक काकरो आगू हाथ फैलाइस।
अजादी के दिन स्कूल गराउंड म पंडाल तना गे। बिहनिया आठ बजत ले गांव भर के लइका-सियान सबो जुरियागे। गांव बर तो आज बड़का तिहार हो गे रहिस। लइका-सियान सब के मन म एक नवा उत्साह रहिस कि घूटरू मंडल के जिनगी भर के तपस्य ह आज मान पाही।
अतराब के बिधायक ह जब आइस, तब सबले वोहा पहिली झंड़ा फहराइस। पोसन साव के मुरति के अनावरन करिस। अब सरकारी स्कूल होगे। सरकारी फरमान आगे जउन घर म स्व. पोसन साव ह अपन जिनगी के आखिरी सांस गिनिस, वो घर ल इस्मारक बनाय जाही अउ उहां घुटरू मंडल के जिनगी के कहिनी ल दरसाय जाही। ये बात ल सुन के गांव के मनखे मन के छाती है दू गज हो गे। घुटरू मंडल के मुरति ल देखके अइसे लागथे मानो सुतंत्र देस के पहली मनखे उही ह आय।

बलदाऊ राम साहू

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