पगली - छत्तीसगढ़ी कहानी _ Chhattisgarhi Kahani

जब मेहा वो फोटो ल धियान से देंखेव त मोर बिहाव के रिहिस। जेमा मोर, मोर घरवाले अउ वोकर संगवारी बिसाल के फोटो रिहिस। वोहा बिसाल ल अपन घरवाला बतावत रिहिस। मेहा अपन जेठानी ल कहेंव कहीं इही ह तो वोकर घरवाला नोहय? मोर जेठानी हांसत कहिस - पागी के बात ल भला कोनो बिसवास करथे का?

जब वोला मेहा अपन सहर म पहिली बेर देखेंव त वोहा छह-सात महीना के पेट म रिहिस हे। वोहा बस स्टैंड बस मन के पाछू दउड़त दिखय। मेहा वोला अइसन हालत म पहुंचइया ल मने-मन जी-भरकर कोसे रहेंव।
कुछ महीना बाद म मोला पता चलिस के वो पगी माइलोगिन ह सड़क म एकझन बेटी ल जनम दे हावय। सड़क साफ करइया माइलोगिन मन लइका होवाय म मदद करे रिहिन। अइसे समे म घलो पुरूस मन बोटबाय तमासा देखत दूरिहा म खड़े रिहिन। कोनो डॉक्टर ल बलाय, वोला अस्पताल पहुंचाय के नई सोचिन। एकझन जमीदारिन ह इलकरहा गारी दीस त भीड़ लगा के खड़े मनखे मन हटिन नइ जानव फेर वो पगली म अइसन का रिहिस के मेहा वोकर बारे म जाने बर मरे जात रहेंव। वोकर बारे म जाने बर मरे जात रहेंव। वोकर बेट होय के खबर सुनके मेहा देखे बर चल देंव। वोहा अपन बेटी ल दूध पिलाय बर तो दूर, हाथ तक नइ लागवत रिहिस। एकझिन माइलोगिन ह लइका ल वोक कोरा म रखिस त वोला ढकेलदीस। लइका ल थोरकिन लाग घलो गे। ऐला देखके के नइ जानव कइसे मो मुंह ले निकल गे, लानव ये लइका ल मेहा 
पालहंव अउ लइका ल धर के घर आ गेंव। घर पहंचेंव त कोरा म नवजात लइका ल देखके मोर जेठानी ह ताना मारत कहिस-देख ले एक पागली ब दूसर पगली के सहानुभूति के नतीजा ल। जाने ये बला कहां ले उठाके लाने हस?
सर ह देखिस त राम-राम काहत घर भर ल मुंड़ म उठालीस। राम जाने कोन जात के ए? काकर पाप हेध् चल जा जिहां ले लाय हस उहें छोड़के आ। मेहा कहेंव मनखे के संतान हे। कहुं मर जही त देस आपमान ल लगही। बाद म मोर पति रोहन आइस। उहू ह मोर बिरोध करे बर धरलीस। घर भर म कोनो मोर संग दिस तो वो रिहिस मोर पांच बच्छर के बेटा परसांत। वोहा लइका ल देख के बहिनी-बहिनी कहे लागिस।
जम्मो के बिरोध ल सहिके घलो मेहा वोकर देखरेख करे बर धर लेंव। एक दिन अंगना म खड़े रहेंव त उही पगी दिखिस। वोहा कचरा म बइठ के रोटी ,खोजत रिहिस। मोर मन रो डारिस। मेहा वोला इसारा करके बलायेंव अउ गरम-गरम रोटी खाय बर देंव। लोटा म पानी पिये बर देंव त मोर जेठानी ह लोटा ल मोर हाथ ले छिन के कहिस - ये पगली ल पानी पिलाय बर हे त चुल्लू से पिला। मेहा चुप रहिगेंव। मेहा वोला भीतर अंगना म बा के कुंआ ले पानी निकाल के पिलायेंव। वोहा पानी पीके उही मेर बइठ गीस। वोहा बड़ धियान से परछी म लगे एकठिन फोटा ल उतार के मोला कहिस - यही ह मोर घरवाल ए। वोहा मोर हाथ ल पकड़ के खिंचत कहिस - बता मोर घरवाला कहां हे? मेहा डररागेंव। अपन जेठानी ल हुंत कराएंव। वोहा उदड़त आइस सास घलो आ गिस। वोमन मोला पगली ले बड़ मुसकुल ले छोड़ाइन। पगली चलदीस।
घरवाले मन मोर से बात करे बर छोड़दीन। वोमन काहंय ये लइका ल छोड़ के आ। मेहा जानत रहेंव, ये बेदर्द दुनिया म वोकर का हाल होही तेन ल। बेनाम बन के कउन गली म का सजा मिलही तेल ल। मेहा वो लइका के नांव बैसाली रखेंव। एक दिन घर के दरवाजा खुले रिहिस त वो पगली ल खुसरगिस अउ फोटा डाहर अंगरी देखा के जोर-जोर से कहे लगिस - इही मोर घरवाला ए। मेला मोर घरवाला ल देवव।

जब मेहा वो फोटो ल धियान से देखेंव त वो मोर बिहाव के रिहिस। जेमा मोर, मोर घरवाले अउ वोकर संगवारी बिसाल के फोटा रिहिस। वोहा बिसाल अपन घरवाला बतावत रिहिस। मेहा अपन जेठानी ल कहेंव कहीं इही ह तो वोकर घरवाला नोहय? मोर जेठानी हांसत कहिस - पागली के बात ल भला कोनो बिसवास करथे का? 
 अब पगली ह दू-चार दिन म आय बर धरलीस। वो फोटो ल दूरिहा ले देखके चल दय। अब मोला बिसवास होय बर धरलीच के पगली सच काहत हे। मेहा अपन पति ले वोकर संगवारी के बारे म पूछेंव त वोहा कहिस - वोकर दू बछर पहिली बिहाव हो गे हे। वोकर बिहाव के नेवता म हमन नइ जाय सके रहेन। उहू ह पगली के बात ल बिसवास नइ कर सकत रिहिस। 
मेहा जिद करके अपन पति ल वोकर संगवारी घर जाय बर मनाएंव। बिसाल के घर पहुंचेन। संग म परसांत अउ बैसाली घलो रहिस। बैसाली ह सात महीना के होगे रिहिस। उहां पहुंचने त चारोंमुड़ा चहल-पहल  रिहिस। बिसाल के बिहाव होवत रिहिस। बिसाल के हरदी चढ़त रिहिस। दू बछर पहिली बिहाव के नेवता मिले रिहिस, फेर बिहाव अभी कइसे होवत हे, ये बात ल जाने बर मोर मन बेचैन हो गे। आखिर, मेहा पूछेंव, बिसाल भइया आपमन के पाहिली पत्नी कहां हे? मोर बात ल सुनके सबझन थोरकिन अचरज म पड़त कहिन के सुभ काज म ये उटपुटांग सवाल काबर? बिसाल के चेहरा गंभीर होगे। वोहा कुछू बोलतीस वोकर पहिली वोकर दाई ह बोल पड़िस - वो कुलछनी के नांव झन ले। नइ जानन कहां भाग गीस। हमर मन उप्पर आरोप लगिस के दहेज के सेती मार-मार के वोला पागल बना देन। वोहा ते पहिली के पागल रिहिस हे। वोकर दाई-ददा मन हमन उप्पर थोप दे रिहिस। फेर, तेहां काबर वोकर वकालत करत हस? तेहां कउन अस? मोला अब पक्का बिसवास होगे रिहिस के वो पगली ह बिसाल के बिहाता ए।
मेहा तुरते जबलपुर ले रइपुर आ गेंव अउ वो पगली ल खोजे ब लेंव। दू दिन के खोजबीन म वोहा मिलिस फे कोन हालत म? पगली ह मोला लास के रूप मिलिस। मेहा वोकर लइका ल छाती लगाय रो डरेंव। वोकर लास ल लावारिस समढ के मुक्तिधाम वाले मन न जाने मोला का होइस मेहा वो लास ल ‘आसा’ के रूप पहिचान कर देंव। अब आसा के लास वोकर पति के अंगना म रिहिस। सबोझन नवा दुलहिन समेत एक अभागिन के लास ल हक्का-बक्का देखत रिहिन। मेहा कहेंव -बिसाल ये पगली तो पत्नी आसा हे जउन घर ले भागे नइ रिहिस। बल्कि तुमन वोला घर से निकाल दे रहेंव। वोला घर से निकाल दे रहेंव। वोला मार-मार के पागल बना दे रहेंव। वोकर कसुर अतकेच रिहिस के तोर जइसे लालची पति अउ दहेजलोभी सास के मांग के पूरति गरीब के बेटी ह नइ कर सकिस।
मेहा बिसाल ल वोकर बेटी सउंपत कहेंव - ऐला पहिचान, येहा तोर बेटी ए। जब तेहां
 आसा ल घर ले निकाले रहेस त वोहा पेट से रिहिस। अब तहुं ह एकझन बेटी के बाप हस। सायद बेटी मन के दुःख-पीरा  समझ सकबे। वोकर नवा दुलहिन ह नफरत अउ घीन से बिसाल डाहर देखिस अउ अपन मुंह ल फेर लिस।
बिसाल पगली के लास उप्पर गिरके फूट-फूट के रोवत रिहिस। मेहा देखेंव मरे पगली के हाथ उही फोटो जकड़े रिहिस हे।

शैल चन्द्रा,

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