मोर मयारू छत्तीसगढ़ गजब हे महान गा (mor Mayaru Chhattisgarh Gajab he Mahan ga)

मोर मयारू छत्तीसगढ़ गजब हे महान गा,
धरती दाई के सेवा करे लइका अउ सियान गा।
तन म पसीना ओगार के,
चेला रूकोवत हे।
खेत-खार मं मोर बोवत हे।
ये अड़हा किसान ल नइये गरब-गुमान गा,
धरती दाई के सेवा करे लइका अउ सियान गा।
कोलकी, कोलकी बइला रेंगय,
बइला के सींग मं माटी गा।
नवा बहुरिया लाये हाबे,
चटनी संग मं बासी गा।
रापा, कुदारी, नागर, बइला मीत-मितान गा,
धरती दाई के सेवा करे, लइका अउ सियान गा।
बलावय चिरई-चुरगुन,
अउ मेड़ पार गा।
किसान सबके हरे पोसइया,
क्रोध म हाबे जग के भार गा।
नवा हे सुराज नावा हे बिहान गा,
धरती दाई के सेवा करे, लइका अउ सियान गा।


जितेंद्र ‘सुकुमार’


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