
भोंभरा जरत हे राम
लकलक ले जरत हे भुइयां
नइ दिखय कोनो जगा छाइहा
सुहात नइए कुछू बूता काम
भोंभरा जरत हे राम।
चिरई लकाहे भोंगरा में
जपय कृष्ण हरे राम
भोंभरा जरत हे राम।
सुरूज करे अलकरहा अंजोर
सुन्ना दिखे गांव, गली, खोर
घर कुरिया म सब करे अराम
भोंभरा जरत हे राम।
घरों-घर करसी के पानी
सुनावत हे सबके कहानी
भजले-भइया सीता राम-राम
भोभरा जरत हे राम
जितेंद्र ‘सुकुमार’
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