मिनी माता, जिन्होंने माता शब्द में निहित भावार्थ को सही मायनों में अपने कर्म से सार्थक किया है, तथा आम जनों को अपने नाम के अनुरूप मातृत्व की छाया प्रदान की। समय और परिस्थिति के अनुरूप कठोर और साहसिक निर्णय लेने की क्षमता, कथनी और करनी में एकरूपता, ईमानदारी और संवेदनशील व्यक्तित्व की धनी मिनीमाता ने छत्तीसगढ़ में लोगों को सम्मानपूर्वक जीने का रास्ता दिखाया। सन् 1952 से 1972 तक वे सांरगढ़, जांजगीर व महासमुंद क्षेत्र का प्रतिनिधित्व लोकसभा में करती रही। उनके सम्मान में छत्तीसगढ़ शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग ने महिला उत्थान के क्षेत्र में कार्यरत मूल निवासी महिलाओं / संस्थाओं के लिए ‘मिनी माता सम्मान’ स्थापित किया है। यह सम्मान प्रतिवर्ष दिया जाता है। इसके अंतर्गत 2.00 लाख रुपये की राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान की जाती है। यह सम्मान सन् 2001 से प्रारंभ किया गया है। इस पुरस्कार के संबंध में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा विज्ञापन प्रसारित कर आवेदन आमंत्रित किया जाता है। आवेदन प्रस्तुत करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा राज्य स्तरीय समाचार पत्रों में प्रतिवर्ष विज्ञापन प्रकाशित करवाकर प्रविष्टियां आमंत्रित की जाती है।
महिला और बाल विकास विभाग द्वारा महिला उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले समाज सेवी व्यक्ति या स्ंास्था को दो लाख रूपये की सम्मान राशि व प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
2001 - श्रीमति बिन्नी बाई सेानकर
2002 - नेशनल एसोसिएशन फार द ब्लाइंड, (प्रेरणा) रायपुर विवेकानंद इस्टीटृयट आॅफ सोशल हेल्थ वेलफेयर एंड (विश्वास) सर्विस, नारायणपुर
2005 - कु. अंजल सिरमौर्या - स्वयं सेमी संस्थान, गृहणी, हिरमी
2006 - श्रीमति शमशाद बेगम
2009 - प्रगति महिता स्व- सहायता समूह, भेलवापदर, कोंडागांव, जिला बस्तर
2010 - सुश्री अमृता बारले
2011 - स्वैच्छिक संगठन समतामंच, राजनांदगाॅव
2012 - सुश्री रेहाना नियाजी - कोरिया महिला गृह उद्योग बैकुण्डपुर