बाबा गुरु घासीदास का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में गिरौद नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम मंहगू दास तथा माता का नाम अमरौतिन था और उनकी धर्मपत्नी का सफुरा था।
गुरु घासीदास का जन्म ऐसे समय हुआ जब समाज में छुआछूत, ऊंचनीच, झूठ-कपट का बोलबाला था, बाबा ने ऐसे समय में समाज में समाज को एकता, भाईचारे तथा समरसता का संदेश दिया।
घासीदास की सत्य के प्रति अटूट आस्था की वजह से ही इन्होंने बचपन में कई चमत्कार दिखाए, जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा।
गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने न सिर्फ सत्य की आराधना की, बल्कि समाज में नई जागृति पैदा की और अपनी तपस्या से प्राप्त ज्ञान और शक्ति का उपयोग मानवता की सेवा के कार्य में किया।
इसी प्रभाव के चलते लाखों लोग बाबा के अनुयायी हो गए। फिर इसी तरह छत्तीसगढ़ में 'सतनाम पंथ' की स्थापना हुई। इस संप्रदाय के लोग उन्हें अवतारी पुरुष के रूप में मानते हैं। गुरु घासीदास के मुख्य रचनाओं में उनके सात वचन सतनाम पंथ के 'सप्त सिद्धांत' के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इसलिए सतनाम पंथ का संस्थापक भी गुरु घासीदास को ही माना जाता है।
बाबा ने तपस्या से अर्जित शक्ति के द्वारा कई चमत्कारिक कार्यों कर दिखाएं। बाबा गुरु घासीदास ने समाज के लोगों को प्रेम और मानवता का संदेश दिया। संत गुरु घासीदास की शिक्षा आज भी प्रासंगिक है।
पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में गुरु घासीदास की जयंती 18 दिसंबर से एक माह तक बड़े पैमाने पर उत्सव के रूप में पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जाती है।
बाबा गुरु घासीदास की जयंती से हमें पूजा करने की प्रेरणा मिलती है और पूजा से सद्विचार तथा एकाग्रता बढ़ती है। इससे समाज में सद्कार्य करने की प्रेरणा मिलती हे।
बाबा के बताए मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति ही अपने जीवन में अपना तथा अपने परिवार की उन्नति कर सकता है।
छत्तीसगढ़ के महान संत गुरू घासीदास के आदर्शों के अनुरूप तेजस्वी सक्रियता के लिये आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा दो लाख रूपये का सम्मान स्थापित किया गया है, सामाजिक चेतना एवं सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्ति या संस्था को प्रशस्ति पत्र एवं दो लाख रूपये की सम्मान राशि दी जाती है।
2001 - राजमहंत श्री जगत् सोनवानी - डाॅ. रामरतन जांगड़े
2002 - श्री समय दास अविनाशी - डाॅ. आई.आर. सोनवानी
2004 - श्री सखाराम बघेल - श्री गुरू मनोहर दास नृसिंह
2005 - डाॅ. भीमराव अम्बेडकर शिक्षण संस्थान, मुगेली नकुल ढीढी
2006 - राजमहंत डोमनलाल कोर्सेवाझ - राजमहंत दीवनचंन्द सोनवानी
2010 - श्री रेशम लाल जांगड़े
2011 - श्री जीवराखन दास धृतलहरे
2012 - डाॅ. आर. एस. बारले