
* फागुन पूर्णिमा के दिन होली का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जाता है।
* बसंत पंचमी के दिन एरंड़ का वृक्ष बैगा के द्वारा गड़ाया जाता है और लड़के उसी उके पास लकड़ियॉ इकठ्ठा करना शुरू कर देते है।
* प्रत्येक रात्रि को वहॉ नगाड़े बजाकर गीत गाते है, जो फागगीत के नाम से जाने जाते है।
* जिस रात होली जलाईं जाती है, उसी रात को गॉव के युवक, बालक, वृद्ध उस स्थल पर एकत्रित होते है।
* मॉदर,ढोल,डफनी, नगाड़े साथ नृत्य और गान होता है। दूसरे दिन रंग और गुलाल खेला जाता है।
* होली के उल्लासमय वातावरण के मध्य फागगीत का गान उल्लेखनीय है।
* होली में गाये जाने वाले गीतों में राधा-कृष्ण के होली खेलने का वर्णन ‘राधे बिन होली न होय, सहर में दे दे बुलौवा राधे को‘ - जैसे फाग गीतों से कृष्ण को आने का आहान किया जाता है।
होली की कुछ प्रमुख गीतो का लेखन कर कृपया प्रकाशित करें ।
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