कहां पनहाथ _ Kaha Panhath_HaMar Angana

कुकुर मन पूछी ल अपन संहुराथे
मियाऊं-मियाऊं राग बिलईय्या गाथे
मनखे म मनखे के
कहां हे बिसवास,
सुवारथ म बस अपन
मुड़ी ला नवाथे।
सबके मन, पीरा के बसे हे संसार
हरहिंसा जिनगी ला कउन जी पाथे
बिन मतलब के चिंता म
बोहे हे अगास,
मंगरा कस अपने आंसू ल बोहाथे।
सबके एकठन मतलब हे
ये जिनगी के,
दुख के आंसू के मोल
कउन लगाथे।
सावन के अंधरा ल दिखे
सबो हरियर,
बिन बिहाय गाय ह
कहां पनहाथे।
सबके सुर अलग हे
अलगे हावे राग,
चिरई, एके खोंधरा म
कहां रहि पाथे।
- बलदाऊ राम साहू,

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