तिपे चाहे भोंभरा,
झन बिलमव छांव मा
जाना हे हमला ते गांव
अभी दुरिया हे।
कतको तुम रेंगाव गा
रद्दा हा नइ सिराय
कतको आवय पड़ाव
पावन जस नइ थिराय
तइसे तुम जिनगी मा,
मेहनत सन मीत बदव
सुपना झन देखव गा
छांव अभी दुरिहा हे।
धरती हा माता ए
धरती ला सिंगारो
नइये चिटको मुसकिल
हिम्मत ला झन हारो
ऊंच-नीच झन करिहव
धरती के बेटा तुम
मइनखे ले मइनखे के
नांव अभी दुरिहा हे।
गांव अभी दुरिया हे
- गीतकार :
स्व. नारायणलाल परमार
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