प्रदेश के दूरदसा

अन्ते-तंते के कमाई के पइसा जेकरे घर पलपलाथे तेकरे घर दिल्ली के छापा घलो परत हे। इहां सरकार म गांधीजी के बेदरा बइठे हें ददा हो । न देखब, न सुनव, न बोलब । बड़का-बड़का घपला के खबर अखबार मछपत हे । दूसर दिन मोल-भाव सुरू हो ज़थे । तीसर दिन के जांच जारी हे। कुछ दिन पाछू त्तइहा के बात बइहा करा चल दिस कहुं ल हथकडी-खेडी जेलखाना सजा…जेली नइ होवे। समे कटगे। बादर छटगे। गडूडा पटगे। झंझट
हटगे । ' इति सिरी घपला समरपियामी रेखारझंडे समाप्त बड़का-बड़का साहेब सूभा मन ल छूट हे। उछरत-बोकरत मरत ले खाव । बांच जाहूं त तुम, मरिहवत  तुमा कहुं ल कुछूनइ करना हे। ते पाय के आंखी मूंद के बटोरो । ककरो कोई  डर नइ हे। कहुं कुछु करत हे बोला चमका दवा राजा, मंतरी ल कोई झेपइया नइये। बोमन तो अब चहक गे हे। ऐमन तो चोरहा हे, बोमन अली बबा हे। त्तहू खा हमूं खाबो। जेकर लार टपकत हे उहूमन ल परसाद मिलही । अखबार छपइया भाई मन के कागज कलम लाल लोम देख के उकरो मन के आजीब बंदोबस्त हवे। भाड़खानी के मंगलचरन लिखइया-गत्नहया जय गंगान गाएबर पड़हिंच । मेला, मड़ईं, खेलकूद, कुंभ, परयाग, गांव, सहर, राजधानी घला नवां…नबां होवत हे। धरम-करम, ग्यान-हबन, धुंगिया, मिल…कारखाना, फेक्टरी के चिमनी के पहिया असन छस्तीसगढ़ भरम छा ने है । मंदिर-तीरथ म घंटा झालर शंख बाजत हे। छस्तीसगढिया कतक्रो क्रोढिया, कूंग़-बहरा है, त्तभो ले आज नाहिं त एक दिन कलथहीँचा हमर मुखिया असन  भागमान लाखों… करोडों म एकाध झन होथे बोकर मुहरन ल ओढ के पारटी ह छत्सीसगढ़ म जियत-जागत हे। जउन दिन राज़लीला खतम होहे बो दिन दल, नेता, मंतरी, विधायक, महापौर सब भसक जाहीं। अभेद किला ओदर ज़हीं। बो दिन कमल के फूल म धंधाय भंवरा ह बोकर चिक्वान पांखी ल छेदक्रे उडिया जही। तहां ले जा, जपा, आजमा, भाजपा, नत्नतपा खल्लासा मुखिया बन के सपना तक कहुं नह देखे। सबके सब गोड़ के नाल असन है टोटा के जात ले सबके बोजा गे हे। बोल नइ सके। कल-कारखाना, फेक्टरी, गोदाम के बंधाये-छंदाये लाखों…करोडों …चार झन मिलके गिन देथें । बांचे-ड्डेचे मन बर खराब, सटूटा, नौकरी-चाकरी, ट्रांसफर, नियुक्ति, परमोसन म बिना दुहना के दुहत्त हें। कइसनों करके सरकार के गुजर-बम चलना चाही। चलत है त्तेला चलन दवा थ्रोर-बहोत्त कहुं अइठइया हवे त्तेकरो टोटों के गेरूआ मुखिया के हाथ म बंधाय हे। तुम लाहो घलो नह ले स्रक्रो। कलेचुप खाओ-पियो। गाडी-मोटर मिले है,
घूमौ-फिरो। सभा…ज़लसा म जावत-जावत रहबा हमर ज़य रावत रहबा छस्तीसगढ़ के संस्करीति ल दुनिया भर म तुहों उजागर करिहव पानी म बरा…स्रोहारी चुस्त हवया कोई कहने वाले नइये । अंबिकापुरल बने त बिहार म जिने देतेव ददा हो। कहिये त आधा छस्तीसगढ़ आज के दिन म उही मन हे । छस्तीसगढ़ के एक्रोठन बैक नइ जांचे। बांट…ब्रिराज के सबके खाता खुलल हें। चार…छह छोकरा म दिन दहाड़े लइका छोले के बंदूक देखाक्रे लूट-मार करत है । चोर चिंहार डाकू, दाईं…बहिनी के टोंटा के माला…मुंदरी झटक-मुद्रक करइ सबके बस म नइ हो लिके । लइका-लुका के लहुटव्रनी वसूल करना, वगेपाल्लेड़गा मन के बूता नोहे ददा हो। चोर…चिहार उही मना थाना पुलिस दरोगा उही मना मार-काट, लूटपात बंद नइ हो सके न तो चिता करंय न हम चिता करन होइहै जो सरकार रुचि राखा । है दिल्ली के लाखों…करोडों रुपिया माओवाद ल खतम करे बर अजित हवे । जब तक माओवाद रहहीं, पइसा आवत रिही । अनिवासी छोकरा मन ल पुलिस म एसपीओ बना के, 6- 7 हजार रुपिया तनखा देके होकर विकास करत है हमर सरकारा माओवादी मन संग घलो अनिवासी छोकरा हें । पुलिस संग घलो आदिवासी जवावें। मरने वाला घलो उही, मारने वाले घलो उही। जेबनी हाथ ह डेरी हाथ ल काटत हे… ददा हो। एक समे रिहिस आदिवासी भोला-भाला रहंया लड़हँ-झगरा, सक…सूभा म ककरो टोंटा ल काट के कटाय मुड़ ल थाना म मड़ा देवंय अउ साफ-सीफ बता देवंया आज उंकर हाथ म बंदूक अउ बम थमा देहना आदिवासी धीरे-धीरे मनुखमार होवत हें । पूरा बस्तर म ऐकर आगी लमही काली इंकर वाल-बच्चा घलो इही म
बढ़ही-पलहों अउ  मनुखमार हो जाहीं । पूरा छस्तीसगढ़ ल ये पाप भोगे बर परही।

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