ग्रामीण आधारभूत संरचनाओं की वर्तमान स्थिति

इतनी सारी योजनाओं के होते हुए भी ग्रामीण क्षेत्रों का सही विकास नहीं हो पाया है। कभी-कभी ये योजनाएं शुरू तो हो जाती हैं, पर इनके लिए न तो पर्याप्त धन और न ही मानव संसाधन का ठीक ढंग से आवंटन होता है। शिक्षा और स्वास्थ्य उदाहरण है। अतः सरकार को इसके ऊपर विशेष ध्यान देना होगा और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए अपने साथ निजी क्षेत्र के लोगों को जोड़ना होगा। हमें ग्रामीण योजनाओं को एकीकृत करते हुए उनमें एक समन्वय कायम करना होगा तथा इनका लाभ अवसंरचना सहित ग्रामीण संशक्तिकरण दिशा में लेना होगा।

गांव शब्द आते ही हमारे दिमाग में एक ऐसा क्षेत्र चित्रित होता है जहां आबादी सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यह सभी भी है, क्योंकि अभी बहुत सारे गांव ऐसे ही है जहां इस तरह की बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। यह कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक भारत की शहरी आबादी करीब 50 प्रतिशत तक हो जाएगी। भारत गांवो का देश है, क्योंकि वर्तमान में यही की 70 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है। महात्मा गांधी ने भी कहा था भारत की आत्मा गांवों में रहती है। अतः एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह इन पिछड़े, वंचित किन्तु बहुसंख्य आबादी के हित में कार्य करे। यद्यपि सरकार ने स्वंतत्रता के पश्चात बहुत सारे कदम इस दिशा में उठाए हैं, लेकिन 69 सालों के बाद भी वांछित सुधार प्रतीत नहीं होता, खासकर आधारभूत संरचनाओं का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। क्या कारण है कि बेहतर उद्देश्य से निर्मित ये नीतियां जमीनी-स्तर पर वांछित सफलता प्राप्त नहीं कर सकीं और उनका अपेक्षित परिणाम नहीं निकल पाया? इसके पीछे कई कारण हैं जिनमें पक्ष को भी मजबूत, जवाबदेह और पारदर्शी बनाना होगा। साथ ही आधारभूत संरचनाओं को तकनीकी और प्रबंधकीय रूप से परिष्कृत करना होगा।
आधारभूत संरचनाओं को मुख्यतः दो भागों में बांटा जा सकता है :

01. आर्थिक आधारभूत संरचनाएं : इनमें शामिल है सिंचाई, ऊर्जा, परिवहन, सूचना और बैंकिग तथा वित आदि।
02. सामाजिक आधारभूत संरचनाएं : स्वास्थ्य, पेयजल आवास एवं शिक्षा आदि।
आधारभूत संरचनाओं के अभाव में विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती है क्योंकि यही एक तत्व है जो सामूहिक रूप लोगों के सशक्तिकरण को पोषित और प्रेरित करता है। साथ ही आधारभूत संरचनाओं के विकास के बिना स्वाभाविक रूप से निर्भर अन्य क्षेत्रों का विकास के बिना स्वाभाविक रूप से निर्भर अन्य क्षेत्रों का विकास मुश्किल है भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए इसकी आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। अतः ग्रामीण भारत के सर्वांगीण विकास के लिए यह आवश्यक है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभुत संरचनाओं का विकास किया जाए।
हालांकि केन्द्र सरकार और अन्य राज्य सरकारों ने स्वतंत्रता के बाद कई योजनाएं और नीतियां संचालित की हैं। इनमें कुछ योजनाओं की दशा और दिशा से हम अपनी वास्वविक स्थिति को समक्ष सकते है।

भाग  - 2

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