आप मन तो जानत हो ह कि क्रोध करे लें बुरा फल मिलथे। एकर एक ठ उदाहरण आप मन के सामने राखत हउ।
ऐ तब के बात ए जब ‘‘बिजली” और ‘‘तुफान” हमर बीच रहत रिहिन। लेकिन ‘‘बिजली” के घुस्सा ले राजा ह ओला हमर बीच ले नीकाल दीस।
कहानी
बिजली ह तुफान के बेटी रिहिस। जब कभू बिजली ल कछु बात म घुस्सा आय त ओहर बिजली गिरा के काकरों घर ल काकरो खेत ल अपन आग म जला देय अव वोहर मनखे मन ल भी नी झोड़े अहू ल जला देय।
जब कभू बिजली इसने करें त ओकर सियान (तुफान) ह गरज-गरज के रोके बर लग जाय। बिजली ह ढीठ रिहिस काकरों बात नइ सुने। ओहर ओकर सियान के बात भी नइ सुने। तुफान के रोज गरज-गरज ओला मनाय के कोशिश करें । एकर गरज-गरज के कारण गांव के मनखे मन के मुड़ी पिराय बर धर दीस।
तब मुड़ी पिरा ले तंग आके गांव के मनखे मन राजा करा शिकायत ले पहुचिन। राजा ल ओ मन के शिकायत ह सही लागिस। ओहर उद्देज बिजली अउ तुफान ल गांव छोड़ के जाय बर किहिस और जंगल म खेद दिस।
बिजली ह घुसेली तो रिहिस हे ओहर का मानहि जंगल म घले ओकर घुस्सा ले रूख मन ल जला देय अउ तिर-तखार मन के खेत ल घलो जला देय।
फेनेच गांव के मनखे मन राजा करा शिकायत ले के पहुंचिन तब राजा बिजली और तुफान ल धरती से बाहर बादर में खेद दीस ।
ओमन अब मनखे मन ल ज्यादा नुकसान नि कर सकें।
इकर लागिर कथे कि ’’क्रोध के फल बुरा होथे”।
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