सब वोकरे संतान ये संगी..(Sub Okre Santan Ye Sangi..)
सोन-पांखी के फांफा-मिरगा या बिखहर हो जीव
सबके भीतर बन के रहिथे एकेच आत्मा-शिव
तब कइसे कोनो छोटे-बड़े या ऊंँचहा या नीच
सब वोकरे संतान ये संगी जतका जीव-सजीव
सुशील भोले
मयारु माटी
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