भासा के नवा-बिहान के दिन ल सोरियवन त 27 नवंबर 2007 के दिन ह परब कस लागथे। काबर कि इही दिन छत्तीसगढ़ी ल राजभासा के दरजा मिलिस। छत्तीसगढ़ी ल राजभासा के दरजा ह असल म छत्तीसगढीया मन के सम्मान आय। छत्तीसगढ़ी बर छत्तीसगढ़ीया मन आंदोलन करिन तब जाके छत्तीसगढ़ राज्य ह बनिस। त भला छत्तीसगढ़ी भासा संग कइसे अनियाव होतिस। बोलचाल म प्रचलित बोली ल महतारी भाखा के पदवी देना बड़ अभिमान के बात आय।
छत्तीसगढ़ी ल तो उही दिन राजभासा घोसित करना रिहिस जेन दिन राज ह बनिस। फेर करबे दू चार झन पेटकापट्टी मन के सोती सात साल अगोरे ल परिस। अब ले देके राजभासा बनगे त ओमन फेर एमा लिपि के अडंगा डार के विकास के गाड़ा रोकथे। दूये चार झन अडं़गा डारे ले कांहि नई होवय। करबो। अपन के मतलब ओ मनखे मन ले हे जेमन छत्तीसगढ़ के धरती म जनम धरे हे। इहा के माटी ले उपजे अन्न खावत हे। इहे के पावन ले जीवन जियत हे। ओमन कहू आज ले छत्तीसगढ़ी भासा ल नइ जान पाइस त समझ ओकर इमान सुतेच हे। अउ जेमन छत्तीसगढ़ी म लिखे-पढे के सुरू कर डरे हे तिखर इमान जागे हे।
कुछ लोगन मन के तो इमाने नइये। ओमन कहू आज ले छत्तीसगढ़ी भासा ल नइ जान पइस त समझ ओकर इमान सुतेच हे। अउ जेमन छत्तीसगढ़ी म लिखे-पढ़े के सुरू कर डरे हे तिखर इमान जागे हे।
कुछ लोगन मन के तो इमाने नइये। ओमन आजो छत्तीसगढ़ी के खोदी ऊंकेरथे। कभु व्याकरण के गोठ करथे, कभु छत्तीसगढ़ी के अभ्यंस निकाले। कभु किथे छत्तीसगढ़ी के लिपिच नइये। अइसन विचारधारा के मनखे मन किरिया खाके अवतरे हे तइसे लागथे कि बोलबो अउ लिखबो त सिरिफ लिपि वाला भासा ल कहिके। अइसने एक झन मइनखे ल मेहर पुछेव कि केठन लिपि वाला भासा के जानकार हस कहिके। त ओकर मुंह ले अक्का-बक्का नई फुटिस।
का भासा के विकास बर लिपि जरूरी हे?
छत्तीसगढ़ राज बने कई बच्छर होगे। ये कई बच्छर म छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी भासा के घलो गजब विकास होइस। छत्तीसगढ़ी म लिखईया मन बाड़हिस। संगे-संग छत्तीसगढ़ी के पढ़ईया मन म घलो बड़ावार देखे ल मिलिस। सांझर-मिंझर रूप काहन त अब छत्तीसगढ़ी भासा ह सबो डहर ले सरपोट्टा दंदारे के सुरू कर देते। रेडियो, दुरदर्शन, समाचार-पत्र पत्रिका मन म अपन ठऊर पोगरा डरे हावे। ये ठऊर ह नोहर कस नहीं बल्कि माई कुरिया कस हे।
हे भासा विद्वान हो लिपि नइये, छत्तीसगढ़ी के लिपि नइये कहिके फुसुर-फुसर करे ले नई होवय। हिम्मती हव ते गोहार पार के आगु म काहव। तूहर जिब ल नइ सुरर सकबोन त कम से कम तर्क तो देसकथन। अगर भासा के विकास बर लिपि होना जरूरी हे त हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी मन कइसे पोकखागे यहू ल तो गुनव। हिन्दी का लिपि हे, संस्कृत के का लिपि हे अउ अंग्रेजी कोन से लिपि म लिखे जाथे। येला पहिली जानव तेखर पाछु छत्तीसगढ़ी के रद्दा म जोझा परहू।
चारों खुट छत्तीसगढ़ी के सोर बगरावत आकाशवाणी ह अंचलिक प्रसारण छत्तीसगढ़ी के कार्यक्रम परोसथे। दुरदर्शन ह छत्तीसगढ़ी भासा के गजब अकन कार्यक्रम देखावथे। बाचे खोचे ल छत्तीसगढ़ी फिलिम ह पुरा करथे। अब रही बात लेखन अउ पाठन त ओकर बर किताब, समाचार पत्र, पत्रिका हाबे। अबतो दैनिक समाचार पत्र मन घलो सरलग छत्तीसगढ़ी अंक निकाल के लोक साहित्य अउ संस्कृति के सरेखा करत भासा के विकास म पंदउली देवथे। छत्तीसगढ़ी भाखा के अतेक महिमा बचाने के बाद भी हमर कहई म ओमन ह अदरा बइला कस हो जथे। कोन जनी कति मेड़वार के केहे बोल म लिपि के किरिया ल थूकही अउ छत्तीसगढ़ी कोति लोरहकहि तेला उही मन जानय।
जयंत साहू
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