कहावत (Kahawat)
खसु बर तेल नहीं, घोड़सार बर दीया।
पंव म लगाय बर तेल नइ हे, फेर घुड़साल म दीया जलाए बर कहां ले आही?
सारांश यह है कि स्वयं के लिए कुछ नहीं है पर झूठी प्रतिष्ठा के लिए घुडसाल में दीया जलाएगा।
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