परयावरण ( साफ रख चारो कोती )

चारोे कोती तोर रे, का का हे तै देख ।
धरती अगास पेड रूख, हवा पानी समेख ।।
हवा पानी समेख, जेखरे ले जिनगी हे ।
‘पंच-तत्व‘ हा आज, परयावरण कहाय हे ।
करव ऐखर बचाव, आय जिनगी के मोती ।
गंदगी ला बहार, साफ रख चारो कोती ।।

प्रस्तुतकर्ता:
रमेशकुमार सिंह चौहान
नवागढ जिला-बेमेतरा (छ.ग.)

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