
* अलग-अलग धाराओं के लोग अपने इष्ट देवी-देवताओं की स्तुति अपने मत के अनुसार करते है।
* इनमें अपने अलग-अलग भजन है।
जाति गीत
* छत्तीसगढ़ की कुछ विशिष्ट जातियों में कुछ विशिष्ट प्रकार के गीत प्रचलित है, जो अन्य जातियों में नहीं मिलते, यथा-रावत लोगों का बॉसीगीत, देवारों का बीरमगीत, बसदेवाओं को बसदेवागती और सतनामियों का पंथी गीत।बॉस गीत
* रावतों के द्वारा गाया जाने वाला बॉस गीत दो-दो व्यक्तियों के द्वारा विभिन्न दलों में गाया जाता है।बंशीनुमा बॉंस के लगभग चौड़ाई हिस्सू के आकार का यह बॉस का वाद्य बॉसगीत में प्रयुक्त होता है, जिसेसे ‘‘पों पों‘‘ की विशिष्ट आकर्षक ध्वनि होती है।
* एक व्यक्ति के एक बार लंबी सॉस भर लेने के पश्चात् दूसरे दल द्वारा बॉस गाना प्रारंभ होता है। आधे-आधे घंटे की लंबी और विलंबित सॉस के साथ बजती हुई बॉस की भावों की कोमलता ध्वनित किया जाता है।
देवी-देवताओं, गुरूजनों एवं ईष्टों के मंगलाचरण की परिपाटी के आरंभ होकर बॉसगीत महाकाव्य की तरह कथानक के कथाक्रम से जुड़ जाता है।
जवारा geet
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