पैसा के खेल ईमानदार मन पेल-ढपेल ।


टूटगे आज
मरजादा के डोरी
लाज के होरी ।

पईसा सार
नता-गोता ह घलो
होगे बेपार ।

मन म मया
सिरावत हे, पैसा
हमावत हे ।

बढती देख
ऑंखी पँडरियागे
मया उडा गे ।

करथे तेन
मरथे, कोढियेच
मन फरथे ।

पैसा के खेल
ईमानदार मन
पेल-ढपेल ।

परबुधिया
बनके झन ठगा
ठेंगवा चटा ।

परगे पेट
म फोरा, मुसुवा ह
निकालै कोरा ।

पेट के सेती
शहर जाथे, उहें
पेट कटाथे ।

मया के गीत
मन गुदगुदाथे
फागुन आथे ।


नरेन्‍द्र वर्मा
सुभाष वार्ड, भाटापारा
09425518050  
Post By : संभव